इस बार दीपावली 5 नहीं 6 दिन की होगी: कब करें पूजा और खरीददारी?

दीपावली का त्योहार हर साल ढेर सारी खुशियों और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार भी दिवाली के मौके पर खास तैयारियां हैं, लेकिन इस बार एक नई बात है - दीपोत्सव पाँच दिन का नहीं, बल्क‍ि पूरे छह दिन मनाया जाएगा! तो क्यों है ये बदलाव, कब है लक्ष्मी पूजन, और क्या इस बार खरीदारी के लिए विशेष समय मुहूर्त हैं? आइए जानते हैं।

दीपावली 2024 का विशेष महत्व

इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को अमावस्या का योग एक साथ पड़ा रहा है, जिसके चलते ज्योतिषीय दृष्ट‍िकोण से इस बार का दीपावली महोत्सव छह दिनों तक चलेगा। अब सवाल ये उठता है कि लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर को मनाया जाए या 1 नवंबर को? बहुत से अलग-अलग मत हैं, लेकिन ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का योग सबसे उत्तम रहेगा।



29 अक्टूबर से शुरू होगा दीपोत्सव

29 अक्टूबर से ही आपके घर में दिवाली की तैयारियाँ शुरू हो जाएंगी। इस दिन कर सकते हैं गंगाजल का छिड़काव, मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएँ और सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएँ। 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती और धनतेरस की परंपराओं का पालन होता है। धनतेरस की रात से दीपकों को जलाना शुरू करने का भी रिवाज है।


धनतेरस का महत्व और खरीदारी

धनतेरस (29 अक्टूबर) को खरीदारी का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना-चांदी, और इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि खरीदते हैं। इस दिन यदि शुभ मुहूर्त की बात करें तो हालांकि पूरे दिन में खरीदारी का खास समय नहीं है, लेकिन आप अपनी बुकिंग पहले से कर सकते हैं या डिलीवरी बाद में करा सकते हैं। प्रॉपर्टी की भी खूब मांग रहती है और इसे खरीदने का शुभ समय भी 29 अक्टूबर से शुरू हो रहा है।


दिवाली की तारीख को लेकर असमंजस

इस साल दिवाली की तारीख लेकर बहस बनी हुई है - कुछ लोग 31 अक्टूबर को दिवाली मना रहे हैं, जबकि कुछ 1 नवंबर को। सवाल ये है कि क्यों ऐसी स्थिति बनी?

दरअसल, इस बार अमावस्या तिथि दो दिनों (31 अक्टूबर और 1 नवंबर) को पड़ रही है। लेकिन ज्योतिष गणना के आधार पर 31 अक्टूबर को शाम चार बजे से अमावस्या लग रही है, जो 1 नवंबर की शाम को समाप्त होगी। ज्योतिषियों का तर्क है कि 31 अक्टूबर को संध्याकाल ही अमावस्या का समय है और इसी समय लक्ष्मी पूजन का महत्व सबसे श्रेष्ठ होता है।


31 अक्टूबर के पक्ष में तर्क

काशी और उज्जैन के ज्योतिषियों ने कहा है कि 1 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का दिन होता है, जो लक्ष्मी पूजन के लिए सही नहीं होता। इस कारण लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर को करना ही शुभ रहेगा।


पंचांग और राज्य सरकारों की सहमति

खगोल विज्ञान केंद्र कोलकाता ने भी अपने कैलेंडर में 31 अक्टूबर की दिवाली को सही माना है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हिमाचल समेत कई राज्यों की सरकारों ने भी दिवाली की तारीख 31 अक्टूबर तय की है।


1 नवंबर को दिवाली मनाने का तर्क

कुछ विद्वानों का कहना है कि जहां अमावस्या दो दिन हो, वहां इसे अगले दिन मनाना चाहिए। इसलिए ऐसे लोग 1 नवंबर को दिवाली मना रहे होंगे। देखा जाए तो कौनसा दिन सही है, इसका कोई निर्णायक जवाब नहीं है; यह व्यक्तिगत मान्यताओं और भावनाओं पर निर्भर करता है कि आप किस दिन इसे मनाना चाहते हैं।


30 अक्टूबर: रूप चौदस / नरक चतुर्दशी

29 अक्टूबर को धनतेरस के बाद, 30 अक्टूबर को रूप चौदस या नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व है, जैसे भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस दिन उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा भी है। रूप चौदस के दिन विशेष रूप से सौंदर्य उपचार और शरीर की देखभाल पर ध्यान दिया जाता है।


31 अक्टूबर: लक्ष्मी पूजन

31 अक्टूबर को अमावस्या का शाम का समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे विशेष और शुभ माना जा रहा है। इस दिन शाम के समय संध्या में लक्ष्मी जी की पूजा आरंभ करें और अपने घर के सभी सदस्यों और बच्चों के साथ पूजा की तैयारी करें।


लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में होता है, जो सूर्यास्त से शुरू होकर लगभग रात आठ बजे तक चलता है। इस समय मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। पूजा के दौरान घर की सफाई, दीपक जलाना और धन की देवता कुबेर का आह्वान करना महत्वपूर्ण होता है।


1 नवंबर: स्नान-दान की अमावस्या

अगर आपने 31 अक्टूबर को दिवाली मना ली है तो 1 नवंबर को आप स्नान-दान की अमावस्या का पालन कर सकते हैं। इस दिन स्नान करके दान करने की परंपरा है। यह पुण्यदायी दिन माना जाता है और खासतौर पर उत्तर भारत में इसका बड़ा महत्व है।


2 नवंबर: गोवर्धन पूजा

दिवाली के बाद, 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी। हर बार दीपावली के अगले ही दिन गोवर्धन पूजा होती है, लेकिन इस बार यह एक दिन की देरी से 2 नवंबर को होगी। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था, इस घटना की याद में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।


खरीदारी के लिए विशेष राजयोग

दिवाली 2024 पर 500 साल बाद ऐसे चार राजयोग बन रहे हैं, जिनमें खरीदारी करना सबसे शुभ माना गया है। ये राजयोग हैं:

  • शस राजयोग,
  • आयुष्मान राजयोग,
  • गज केसरी राजयोग,
  • महालक्ष्मी राजयोग

इन राजयोगों में आप ज्वेलरी, सोना-चांदी, फर्नीचर, कपड़े और प्रॉपर्टी आदि खरीद सकते हैं। ये शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर को शुरू हो रहे हैं और नवंबर तक जारी रहेंगे।


विशेष मुहूर्त

अगर आप खरीदारी का प्लान कर रहे हैं, तो इन तारीखों और समयों का ध्यान रखें:

  • 30 अक्टूबर 10:48 AM से 11:48 AM: सुबह का एक शुभ समय
  • 3 नवंबर, 4 नवंबर, 8 नवंबर और 13 नवंबर भी: इन सभी दिनों में अभिजीत मुहूर्त और अमृत चौघड़िया के काल में खरीदारी की जा सकती है। इन मुहूर्तों में वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, प्रॉपर्टी और अन्य मूल्यवान वस्तुएं लेना शुभ रहेगा।


प्रॉपर्टी और निवेश के लिए अवसर

जो लोग निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए 24 अक्टूबर, 30 अक्टूबर और 3 नवंबर सटीक समय हैं। इन दिनों प्रॉपर्टी खरीदना बेहद लाभकारी रहेगा क्योंकि इन दिनों में राजयोग बने होंगे, जिससे आपकी संपत्ति में वृद्धि होगी।


त्योहार से जुड़ी अन्य जानकारियाँ

अगर आपको लक्ष्मी पूजन के विशेष मुहूर्त, ट्रेडिंग और खरीदारी से जुड़ी अन्य जानकारियाँ चाहिए, तो डीएलएस न्यूज़ चैनल पर जाकर अपडेट देख सकते हैं। वहां आपको एक छोटा वीडियो मिलेगा जिसमें सारे उलझन वाले सवालों के जवाब दिए जाएंगे।


त्योहारी सीज़न की बधाइयाँ

त्योहार के इस खास मौके पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं! दीपावली का ये छह दिन का त्योहार आपके जीवन में खुशियाँ, समृद्ध‍ि और सफलता लाए। इसी के साथ आप जो भी दिन तय करें, उस भाव से दिवाली मनाएँ, क्योंकि ख़ुशी और भगवान का आशीर्वाद ही सबसे महत्वपूर्ण होता है।

इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए धन्यवाद, आप भी नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी शुभकामनाएँ ज़रूर लिखें। दीपावली की ढेरों शुभकामनाएँ!

Rajesh Kumar

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